जे. पी. दत्ता
जे. पी. दत्ता को बेहतरीन सफल निर्माता-निर्देशक माना जाता है। अब तक उन्होंने कुल 9 फिल्मों का निर्देशन किया है। इनमें 'गुलामी', 'यतीम', 'बंटवारा', 'हथियार', 'क्षत्रिय', 'बॉर्डर, 'रिफ्यूजी', 'एलओसी कारगिल', 'उमराव जान', 'पलटन' जैसी भव्य फिल्में शामिल है। उनकी फिल्म ब्लॉक बस्टर फिल्म बार्डर सुपर- डूपर हिट रही थी जिसे आज भी लोग देखना पसंद करते हैं। आज जेपी के जन्मदिन पर हम लाए हैं उनसे जुड़ीं कुछ जानकारियां...
जेपी दत्ता का पूरा नाम ज्योति प्रकाश दत्ता है। उनका जन्म 3 अक्टूबर 1949 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था।
उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत 1976 में अपनी पहली फिल्म सरहद से की थी। हालांकि ये फिल्म कभी बड़े पर्दे पर रिलीज नहीं हो पाई। बताया जाता है कि देव आनंद की इस फिल्म में भी देशभक्ति की ही कहानी थी।
जेपी दत्ता को फिल्म मेंकिंग और राइटिंग विरासत में मिली है। उनके पिता ओपी दत्ता भी फिल्म डायरेक्टर- राइटर रहे हैं। उन्होंने जेपी दत्ता के डायरेक्शन में बनी तकरीबन सभी फिल्मों का लेखन किया है।
दत्ता को लोग सिर्फ उनकी वॉर-मूवीज़ से ही याद करते हैं लेकिन उन्होंने उससे भी ज्यादा अहम फिल्में करियर के शुरू में बनाई थीं, जैसे 1985 में रिलीज हुई ‘ग़ुलामी’, फिर 1988 में आई ‘यतीम’, 1989 में रिलीज हुई ‘बंटवारा’ और ‘हथियार’। इन फिल्मों में भारतीय समाज में गहराई में ठहरे वर्ग-भेद और जाति व्यवस्था पर कमेंट किए गए थे।
जेपी ने अभिनेत्री बिंदिया गोस्वामी से शादी की जो पहले विनोद मेहरा के साथ विवाहित थीं, लेकिन फिर तलाक हो गया। अपनी पहली फिल्म ‘सरहद’ के सेट पर जे.पी. दत्ता का परिचय बिंदिया से हुआ था। बिंदिया उनसे 12 साल छोटी थीं। दोनों की दो बेटियां निधि और सिद्धि हैं।
निजी तौर पर जे.पी. बहुत शांत स्वभाव के इंसान हैं। पत्नी बिंदिया के मुताबिक, “वो दोनों बिलकुल विपरीत हैं। जेपी मुश्किल से बात करते हैं और बिंदिया बहुत बोलती हैं, वो बाहर जाना, घूमना पसंद करती हैं पर जेपी घर पर ही बैठना चाहते हैं।
जेपी को सिर्फ तभी गुस्सा आता है जब कोई उनके और उनके काम के बीच आए या उसमें व्यवधान डाले।
‘बॉर्डर’ फिल्म रिलीज होने के बाद दत्ता को पुलिस कमिश्नर ने फोन करके कहा था कि उनके जीवन को खतरा है। इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए दो हथियारबंद लोग भेजे गए जो तीन-चार महीने, हर वक्त उनकी सुरक्षा में रहे। इस दौरान भी उन्हें धमकियां मिलती रहीं। धमकी देने वाले कहते थे कि उन्हें सबक सिखाएंगे।
जे.पी. दत्ता ने अपनी ज्यादातर फिल्मों की शूटिंग राजस्थान में की है। ये जगह बचपन से उनका पैशन रही है। उन्हें यहां के रेत के टीले दीवाना कर देते हैं।
उनकी फिल्म ‘एलओसी कारगिल’ में लीड एक्टर्स को छोड़कर सारे रोल असली सैनिकों ने अदा किए थे। उन्हें रक्षा मंत्रालय ने बंदूकें, हथियार, उपकरण और सैनिक मुहैया करवाए। फिल्म में कोई जूनियर आर्टिस्ट फौजी के रोल में नहीं था। गोरखा रेजीमेंट और जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स के सैनिक फिल्म में नजर आते हैं।
जेपी दत्ता का पूरा नाम ज्योति प्रकाश दत्ता है। उनका जन्म 3 अक्टूबर 1949 को मुंबई, महाराष्ट्र में हुआ था।
उन्होंने अपने फिल्मी करियर की शुरूआत 1976 में अपनी पहली फिल्म सरहद से की थी। हालांकि ये फिल्म कभी बड़े पर्दे पर रिलीज नहीं हो पाई। बताया जाता है कि देव आनंद की इस फिल्म में भी देशभक्ति की ही कहानी थी।
जेपी दत्ता को फिल्म मेंकिंग और राइटिंग विरासत में मिली है। उनके पिता ओपी दत्ता भी फिल्म डायरेक्टर- राइटर रहे हैं। उन्होंने जेपी दत्ता के डायरेक्शन में बनी तकरीबन सभी फिल्मों का लेखन किया है।
दत्ता को लोग सिर्फ उनकी वॉर-मूवीज़ से ही याद करते हैं लेकिन उन्होंने उससे भी ज्यादा अहम फिल्में करियर के शुरू में बनाई थीं, जैसे 1985 में रिलीज हुई ‘ग़ुलामी’, फिर 1988 में आई ‘यतीम’, 1989 में रिलीज हुई ‘बंटवारा’ और ‘हथियार’। इन फिल्मों में भारतीय समाज में गहराई में ठहरे वर्ग-भेद और जाति व्यवस्था पर कमेंट किए गए थे।
जेपी ने अभिनेत्री बिंदिया गोस्वामी से शादी की जो पहले विनोद मेहरा के साथ विवाहित थीं, लेकिन फिर तलाक हो गया। अपनी पहली फिल्म ‘सरहद’ के सेट पर जे.पी. दत्ता का परिचय बिंदिया से हुआ था। बिंदिया उनसे 12 साल छोटी थीं। दोनों की दो बेटियां निधि और सिद्धि हैं।
निजी तौर पर जे.पी. बहुत शांत स्वभाव के इंसान हैं। पत्नी बिंदिया के मुताबिक, “वो दोनों बिलकुल विपरीत हैं। जेपी मुश्किल से बात करते हैं और बिंदिया बहुत बोलती हैं, वो बाहर जाना, घूमना पसंद करती हैं पर जेपी घर पर ही बैठना चाहते हैं।
जेपी को सिर्फ तभी गुस्सा आता है जब कोई उनके और उनके काम के बीच आए या उसमें व्यवधान डाले।
‘बॉर्डर’ फिल्म रिलीज होने के बाद दत्ता को पुलिस कमिश्नर ने फोन करके कहा था कि उनके जीवन को खतरा है। इसलिए उनकी सुरक्षा के लिए दो हथियारबंद लोग भेजे गए जो तीन-चार महीने, हर वक्त उनकी सुरक्षा में रहे। इस दौरान भी उन्हें धमकियां मिलती रहीं। धमकी देने वाले कहते थे कि उन्हें सबक सिखाएंगे।
जे.पी. दत्ता ने अपनी ज्यादातर फिल्मों की शूटिंग राजस्थान में की है। ये जगह बचपन से उनका पैशन रही है। उन्हें यहां के रेत के टीले दीवाना कर देते हैं।
उनकी फिल्म ‘एलओसी कारगिल’ में लीड एक्टर्स को छोड़कर सारे रोल असली सैनिकों ने अदा किए थे। उन्हें रक्षा मंत्रालय ने बंदूकें, हथियार, उपकरण और सैनिक मुहैया करवाए। फिल्म में कोई जूनियर आर्टिस्ट फौजी के रोल में नहीं था। गोरखा रेजीमेंट और जम्मू एंड कश्मीर राइफल्स के सैनिक फिल्म में नजर आते हैं।
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